रहना सदा है अब मौन
पूछना खुद से मैं हूॅ॑ कौन
जिंदगी सबकी प्यारी है
तुझे धरती पे लाया कौन
तकलीफ़ है मेरे सीने में
तेरे बिना अब जीता कौन
नज़रें मिली और दिल मचला
हवा के झोंके संग आया कौन
उम्मीद सिर्फ तुम्हीं पे है
मेरे दिल को ये भाया कौन
मतलब निकालने दुनिया है
ध्यान रहे पास आया कौन
छिपा के रखते हैं इरादें अपना
ये 'राज़' सबको समझाएं कौन !!!
रहना सदा मौन है
आदमी यहां अपना कौन है
शब्दों के जाल में फंसे हुए लोग
सियासी पंथ निकलता कौन है
चाटूकारों का समूह बनाइए
सच बोलता कौन है
अभी विचाराधीन है हर मामला
फैसला करता कौन है
प्रेम ले आते कभी दिल में
जज़्बाती यहां कौन है
उदासीन नहीं है मेरी कविता
बेशक मुझे पढ़ता कौन है !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
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