गलतफहमी Misunderstanding Poem Hindi

Misunderstanding Poem Hindi 
बस एक ही 
गलतफहमी काफी है
सारे नज़ारे और कायनात को 
बदलने के लिए
रहेंगे वहीं नजारें, मंजर यही पर 
लेकिन...
तेरी निगाह पहुंच नहीं पाएंगी वहां पर
क्योंकि..
जब एक बार
भ्रम पड़ जाते हैं
उस वक्त आदमी को
कुछ नहीं भाते हैं
केवल उदासीनता..
उत्साह हीन हो जाते हैं
हर पल
जीवन भर
गलतफहमी के घेरे में
अवसादी हो कर
किसी के प्रति
पूर्वाग्रही हो कर
जीते हैं
जब तक दूर ना जाय
उसकी गलतफहमी
तब तक
नए विचारों का आना 
मुश्किल है
जीवन में
किसी के प्रति !!!!

Misunderstanding Poem Hindi


मैंने कहा कि 
ईश्वर, भगवान नहीं है 
ऐसा कहने का 
मेरा सम्बोधन था कि 
हिन्दू सुनें 
तुमने ध्यान दिया 
मैंने अल्लाह के बारे में 
नहीं कहा है कि 
वो ईश्वर है !!!

बहुत बातें 
हिन्दुओं के लिए 
क्योंकि सभी जानते हैं 
ये धर्म चिंतनशील, तर्कशील है 
इसलिए समझा भी 
सुना भी 
हिन्दू !!!!

गलतफहमी उसमें नहीं थी 
जिसके लिए कहीं थी 
गलतफहमी उसमें थी 
जिसे खुद पर लागू होने न दिया 
कोई ज्ञान !!!!

गलतफहमी यही है कि 
वह तर्कशील नहीं है 
जबकि नफ़रत से उपजी सोच है 
जिसे तुम्हें बुद्धिमत्ता से 
समझा रहा है !!!!!

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---राजकपूर राजपूत''राज''



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