याद आ गई मुझे उलझे हुए इस संसार में
जो कहे थे कभी क्या रक्खा है मेरे यार में
यादें हैं कई पीपल और पगडंडी की डगर में
जिंदगी की तलाश में जो आ गए थे शहर में
गिल्ली डंडा और छुपम छुपाई के वो मेल में
अद्भुत खुशी मिली थी मुझे बचपन की बहार में
जब शाम होगी तो राज़ हिसाब होगा सभी का
क्या रक्खा था तेरे उस उजड़े हुए दयार में
0 टिप्पणियाँ