जमाने की बातों से दिल टूट जाता है Ghazal from the Times

Ghazal from the Times जमाने की बातें का कोई भरोसा नहीं है । जमाने में अब कोई सुनने वाला नहीं है । नहीं ऐसा कोई इंसान है जो बिन कहे समझ जाए । बिन कहे तो मुर्ख ही समझता है । इसलिए बातें करिए जितनी हो सके । दिल की बातें नहीं कहने से कोई भी इंसान तुझे नहीं समझ पाएंगे । जितना हो सके बोलिए ताकि लोग समझें तुम शामिल हो । उसके बीच में । वर्ना कोई सामने बोलते हैं तो दिल ही टूटेंगे । बिना कहे अगर किसी को अनुमति देते हो बोलने की । कविता हिन्दी में 👇👇

Ghazal from the Times

जमाने की बातों से दिल टूट जाता है


दुनिया को पाना है तो गुफ्तगू कीजिए
ख़ामोशी के लफ्ज कहाॅ॑ समझ पाता है

दर्द क्या होता है ख़ामोशी को ख़बर है
नज़रें मिली और दिल धड़क जाता है

नादान दिल खामोशी पसंद है तुझको
जमाने की बातों से दिल टूट जाता है

मैं उसके सवालों से परेशान हो जाता हूं
जब भी वो जवाब देता है मैं और टूट जाता हूं !!!!


जमाने की बातों से दिल टूट जाता है
दिल तो बच्चा जी टूट जाता है

सम्हालें हो तो सम्हाल कर रखना
कांच का गिलास ढीली पकड़ से छूट जाता है

अभी दिल को न समझाओ प्यार में है
जिस दिन ख्वाबों से जागे दीवाना टूट जाता है !!!!

 दुनिया बताती रही
तर्क की बात
कैसे मीठा बातों से करें आघात
बहस तीखी है सवाल बचा रहा
अकेला रह गया मेरे जज़्बात
वो मुस्कुरा कर जवाब दिया
छुपाया है जिसने पेट में दांत !!!!

बड़ी लाचारी है
दुनिया सबकी सुनती है
इसलिए वो अकेली है !!!

उसने मुझे दिखाया कुछ
बताया जाता है कुछ
सियासत के पक्के खिलाड़ी है
गिरा कितना है मत पूछ
जाहिर होने न दी अपनी असलियत
झूठ कितने मत पूछ !!!

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-----राजकपूर राजपूत
Ghazal from the Times


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