poem on sensitivity and affinity in hindi
कोई नहीं इस भीड़ में अपना कहने वाला
सभी की संवेदना खत्म हुई हर कोई बुद्धि वाला
जिन्दगी के इस सफर को देखो कैसा समय लाया
जब किसी को अपना कहो दूर भागे अपना कहने वाला
चाहत की इस शोर में देखो अपना क्या हाल है
हर दिलवाले के मन में मौज-मस्ती के सवाल है
चाहत दीवाने की खत्म हुई दिल टूट गया दिलवाला
कशक भरें दिल को न समझा सका कोई बुद्धि वाला
प्रेम भरे नयनों से मैंने घण्टा बजाया
कोई न निकला मंदिर से पुजारी है मुस्कुराया
प्रेम चढ़ावे को देखो ! कोई देवता न पाया
जिससे मिलने की आस थी पुजारी ने नकारा
तड़पती कामना रह गई हॅ॑स दिए चतुराई बुद्धि वाला
मेरे हिस्से कुछ नहीं केवल ऑ॑सू नयनों वाला
हारमोन्स का उपज है ये रिश्ते की जुनून
तर्को में उलझ गए हैं आ तू भी सिर धुन
नहीं कहीं तनाव है,नहीं कहीं खिंचाव
नहीं कही प्यार है,नहीं कही लगाव
देखने में ऐसे लागे ये प्रेम की पोथी पढ़ने वाला
काट रहे है रिश्तों को अब सुख बुद्धि वाला
हर कोई प्यासा बने दौड़ें फिरे उसके पास
उनका दिल है उन्मुक्त कोई-कोई है खास
देखे है लोभ में डुबने वालों को करते है आराम
देख सुख-सुविधा भूले योगी अपने-अपने राम
हो गए हैं आबाद कई इस झील में डुबने वाला
आम खा के गुठली फेंक रहे है ये मतलब वाला
धरती के विकास को देखो आसमान की चाह करे
पशु-पक्षी-वृक्ष उजडे़ कौन इनकी परवाह करे
वीरान धरती रो पडी़ सिसकियाॅ॑ सुने कौन यहाॅ॑
चिडियाघर से बच्चे खुश जंगल अब है कहाॅ॑
कहां गए वे लोग यहां से धरती को माँ कहने वाला
धरती को स्वर्ग बनायेगे कह रहे है बम बनाने वाला
ज्ञान की इस दौर में देखो क्या वह जान सका
कर्तव्य सब भुल गए अधिकारों को केवल जान सका
आदमी है परेशान यहाॅ॑ अब,हर कोई तुरंत पाने वाला
देख के रहना राज यहाॅ॑ हर मोड़ में लकीरें काटने वाला
-----राजकपूर
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