उस पेड़ पर दो चिड़ियों का बसेरा है

Us-ped-par-do-chudiyo-ka-basera-hai - चिड़िया कभी यह नहीं सोचता है कि कल क्या होगा । वो इतना जानता है कि उसे फिर तलाश करनी है । एक एक दाना को । अपनी तलाश और कोशिश में निश्चित होकर अपने घोंसले में लौट आते हैं । 


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प्रेम है तो हर स्थिति/परिस्थिति से लड़ा जा सकता है । प्रेम में साथ मिले तो धूप में चला जा सकता है । बस उसका साथ और जीवन को सुन्दर बनाया जा सकता है । चिड़ियां भी अपने घोंसले में जाने के बाद सुकून पाता है । अपनी जोड़ी की उपस्थिति में । 


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उस पेड़ पर दो चिड़ियों का बसेरा है
शाम गुजरें गीतों मेंं जद्दोजहद सवेरा है

हर पल हसीन है दिल में जो दर्द भरा है
प्रेम से चूगते दानें ऊपर वाले ने बिखेरा है

खुले खुले आसमां में पंख फड़फड़ाते हैं
मीठे-मीठे गीतों से उस पेड़ पर डेरा है

मचलते है दिल बहलते है मन 
प्यार भरें  पंखों का बस सहारा है 

दो दिलों की आरजू एक दूसरे ने संभाला है
मुश्किल नहीं है सफ़र एक दूजे का सहारा है

Us-ped-par-do-chudiyo-ka-basera-hai


उस पेड़ पर एक घोंसला है
दो दिल एक जान अकेला है
लड़ते हैं चुनौतियों से गीतों की तरह
प्रेम के धागा में बंधे हुए मोतियों की तरह
जिंदगी अनजान थी मगर जी गए
हर दुःख दर्द सभी पी गए
जीवन की आशा उसका साथ था
प्रेम पाया एक और खास था
मौत आएगी सबकुछ ले जाएंगी
मगर जब तक जिंदगी है सब कुछ समेट लेगी !!




___ राजकपूर राजपूत"'राज


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