हे.! अनुज उठ पहचान इसे

हे ! अनुज उठ
पहचान इसे
      
जो रूप ढला है
अतःतम मैला है
रुप -सुन्दरी बन
सीता को छला है
 हे अनुज उठ
 पहचान इसे 

रुप मोहनी,मोहित न हो

शब्दों के जाल,भ्रमित न हो 

  देख न झुठे  सपने जाग
  स्वर न सुन ,ये है काग
   भीषण दैत्य रुप
    दृष्टि डाल जिसे
        हे !अनुज उठ
        पहचान इसे
                 
     कर कृपाण में,धार तेज हो
     टूटे झुठ,सत्य की जय हो
      अंधेरे को चीर रवि चाहिए
      कर प्रहार कि, नाक कटनी चाहिए
       दीखा सत्य सुख,जीना है जिसे
       हे!अनुज उठ पहचान इसे

___राजकपूर राजपूत राज

हे अनुज उठ पहचान इसे


Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ