अब के दुनिया है ये किस तरह

अब के दुनिया है ये किस तरह
बातें नहींं करते आदमी की तरह

दुआ सलाम करते हुए चलते हैं
जैसे झूठ हो किसी सच की तरह

वो शख्स परेशान है खुद से बहुत
जो बोल रहा है विद्वान की तरह

सवाल करना आसान है यहाॅ॑ पर
जवाब देते कभी समझदार की तरह

उनके इरादे खतरनाक है शायद
जो बोल रहा है आदमी की तरह

इश्क आसान नहीं "राज़" क्या जाने
नहीं मिलते अब कोई देवदास की तरह

___ राजकपूर राजपूत 'राज'

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