मन की बात न मानिए , मन में है कुछ और
सूरा-कुकुर खात देख , पानी आएं मुॅ॑ह के कोर
ऐसे चित में ध्यान न लगाइऐ ,खीचे इन्द्री की और
इतने ढीले मत बनिए , ठग फिरे चहूॅ॑ और
यह दुर्लभ की निशानी,जिसके मन में है अतिचोर
कठोर मन बनाइऐ , मुर्ख की हॅ॑सी उड़ें सभी ओर
अपने वश में लाइए , ध्यान लगाइए आत्मा की ओर
पहचानिए गति इस जग की, जानिए आत्मा की शोर
तब ही जग में मान होगा , हर कोई करेगा गौर
मन पकड़ के राखिए , मन में है परमात्मा का ठौर
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बेमेतरा, छत्तीसगढ़
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