पानी की एक बूंद/कहानी a drop of water story hindi

a drop of water story hindi  गांव में पानी की समस्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही थी। जमीन का जल स्तर लगातर नीचे गिरता जा रहा है। जब गर्मी के दिनों में पानी की समस्या होती है। तब लोग चर्चा करते हैं।बरसात आने के बाद भुल जाते है। जैसे सब ठीक हो गया ।सरपंच और कई जनप्रतिनिधियों के पास गांव वालो ने शिकायत की,किसी ने सुध नही ली । उन्हे तो एक बार पद मिल जाए, उसके बाद पलट के नहीं निहारते है। कोई मरे या जीए।

 a drop of water story hindi

  कार्तिक की पत्नी कब से कह रही थी कि दो-चार दिनों के लिए मायके जाऊंगी । लेकिन कार्तिक बात को टालते हुए उसे मना कर देते थे ।
शांति आज जिद  करके,अपने भाई को बुला लिया । मायके जाने से पहले  कार्तिक को समझाने लगी ।
''रात में भिनसार के समय उठ के पानी भर लेना । सोए मत रहना । नए पानी लाने से पहले घर का पानी मत फेंकना ।बोरिंग(नल)से पानी मुश्किल से निकलता है । क्या पता तुम्हे  पानी मिले या ना मिले । सुन रहे हो ! "
कार्तिक को जैसे कोई पर्क नहीं पडा़ । कोई चिंता की बात न हो। ''तुम जाओ ! यार ,जब तक रहना है ,रूक जाना।"

''हाँ, एक दिन पानी भरोगे तो तुरंत फोन करके बुलाओगे ।सबके घर वाले तीन-चार बजे उठते हैं और नल चलाते हैं ।तुम हो सोए रहते हो । कोई चिन्ता है ,पानी कैसे आता है"।खीझते हुए बोली ।
''तुम आराम से जाओ । इतने पास में तो है । दो कदम गए।आ गया पानी । " शांति मुस्कूराई और सोची ,कल पता चल जाएगा । कितना दम है । हफ्ते भर रहुंगी।
शांति अपना समान जमाने लगी । कार्तिक का परिवार एकल था । दो बच्चें हैं । शांति मुस्कूराते हुए कार्तिक से विदा लिया।दोनों के बीच में समझ अच्छे थे। हॅ॑सी -मजाक में ही लड़ते थे । कभी भी वे दोनों घण्टे भर भी बिना बात किए नहीं रह सकते थे । घर के सामने नल होने के कारण कार्तिक को लगता था ,मानों पानी की कोई समस्या नहीं हैं । उन्हें क्या पता था कि पारी आने में कितना समय लगता है। यदि रात में उठ के पानी न भरे तो दिन का कोई काम नहीं होगा ।
कार्तिक रात को सोए जरुर,लेकिन पानी की चिंता के कारण नींद तीन बजे ही खुल गई । उठते ही घर के सारे पानी को फेंक दिया। सोचा,फिर पानी खाली करने में समय बर्बाद होगा।
जब गली में निकला तो अंधेरा खूब था । कुर्ते भोंक रहे थे। बड़ें पेडो़ं से उल्लुओं की आवाजे आ रही थी । कार्तिक सोचने लगा , शांति तो कह रही थी । तीन  बजे ही भीड़ हो जाते हैं । लेकिन अभी तक कोई आया नहीं है । चलों ! कोई बात नहीं ,जल्दी से पानी भर लेता हूॅ॑।
कार्तिक जैसे ही नल चलाना शुरु किया । नल की ठक-ठक की आवाजें सुन कुछ औरतें अपने आदमी के साथ आने लगे। शायद ! पानी की चिंता सबको लगी रहती है । मानों नल की ठका-ठक ही उनका आलार्म हो । कार्तिक जब नल चला रहे थे तो चेहरे पर हल्की मुस्कान थी । मानों उसके अंदर थोडी़-सी लज्जा हों । पहली बार पानी भरने का । इतने जल्दी-जल्दी नल चला रहे थे जैसे वे पानी आसानी से निकाल लेंगे । शायद, पहले उठने का भी गुमान था । पांच मिनट से ज्यादा हो गया । फिर भी पानी की कोई बुंद नहीं गिरा । नल हिचक रहे थे । झटके के साथ हेन्ड़ल नीचे से उपर जा रहे थे । यदि पकड़ ढीली रखें  तो चेहरे पर पड़ने का डर है । लेकिन कार्तिक तो हट्टे-कट्टे आदमी था । उन्हे कहा कोई परवाह । वो तो जैसे पानी निकाल कर ही दम लेगा। फिर भी कार्तिक पसीने से तरबतर हो गया । गला सुख रहा था । औरतें कार्तिक से पुछने लगे-कितने दिनों के लिए शांति को गांव भेजे हो कार्तिक । वो तो झुकें नल चलाने में व्यस्त था । नहीं सुन पाया । रात भर में नल के पाइपों  से पानी नीचे उतर जाते हैं । जिसे चढा़ने में काफी मेहनत करना पड़ता है।शांति कभी भी नल को पहले नहीं चलाई वो तो किसी दुसरे आदमी द्वारा पानी निकालने के बाद ही पानी भरते थे।
सब लोग(पती-पत्नी )बारी -बारी नल चलाते थे ,जब तक पानी न निकल जाय । एक बार पानी निकल जाने के बाद थोडी़ आसानी हो जाती है । फिर भी उतने नहीं। ऐसे भी पानी की धार कम ही निकलते हैं। किसी औरत ने फिर पुछा।इस बार सुना । औरतों को जवाब देने के लिए जैसे ही हाथ ढीले किए नल का हेन्डल झट से उपर जाते समय उसके दाढी़ के नीचे जोर से पडा़ ।
गला तो पहले से सुखा हुआ था । मारे दर्द के वही पर बेहोश हो गए । होंठ कट गए । मुॅ॑ह से खून निकलने लगा । ऑ॑खें की पुतली पलट गई । गले से आवाज आने लगी । वहाॅ॑ पर जितने भी पुरुष और औरतें थे सब नजदीक आ कर देखने लगें । जगाने का बहुत प्रयास किया । लेकिन कार्तिक हिला-डुला नहीं । मुॅ॑ह से खून निकलते देख कुछ महिलाएं डर के मारे भाग गई । शायद ! मर गए तो....!
कार्तिक का हाथ -पैर पकड़ के वहाॅ॑ से घर लाया गया । जल्दी से पानी पिलाओं , वर्ना कही अनहोनी घट न जाय। घर में पानी ढूॅ॑ढना शुरु कर दिए। घर में तो एक बुंद पानी नहीं है । सब बर्तन खाली थे । कार्तिक की ऑ॑खों की पुतली अभी भी पलटी हुई है । गले से आवाजें आ रही है । शायद पानी मांग रहा था। पानी..पानी..कोई पानी पिलाओं ।अफरा-तफरी मच गई ।बहुत देर के बाद कोई अपने घर से पानी लाए और कार्तिक के चेहरे पर  पानी के छीटें मारे । गले के नीचे पानी  उतारा गया । तब कही जाके उसके के शरीर में हरकत हो पाई। सभी लोगों ने राहत की सांस ली। कार्तिक बोल नहीं पा रहा था। केवल इशारें की भाषा में बात कर रहे थे। भिनसार का समय ऐसे गुजरा कि सुबह हो गई । कौवा कांव -कांव करने लगा । धुंधली रोशनी फैल गई । कार्तिक को देखने के लिए लोगों का भीड़ बढ़ गई । डाॅ॑क्टर को बुलाया गया । फोन से ही  घटना की बात शांति को बताई गई।
शांति रोते-रोते आई थी। ऑ॑खें लाल हो गई थी।गाडी़ से उतरते ही जोर से रोने लगी। घर में भीड़ बहुत हो गए थे। लोगों के चेहरे पर परेशानी साफ दिखाई दे रही थी।कार्तिक,शांति को देख के मुॅ॑ह फेर लिया । जैसे कोई नादानी कर गए हो। वहाॅ॑ खडे़ औरतें शांति को बता रहे थे कि घर का सारे पानी फेंक दिया था । एक बुंद पानी नही मिला ।ईश्वर की कृपा है कि कोई अनहोनी घटना नहींं हुआ । पता नहीं क्या हो जाता..।
ये सब कीर्तिक सुन रहा था। पुराने पानी बचाने के लिए शांति बोल के गई थी । शांति पलट के कार्तिक की ओर देखी तो वो फिर मुॅ॑ह फेर लिया । ऐसा लग रहा था कि वे अब पानी की एक बूंद की कीमत समझ गए हैं ।

                                    ___ राजकपूर राजपूत'राज'

     



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