हाॅ॑ , मैं राजनीति हूॅ॑ कविता yes i am politics poetry hindi

yes i am politics poetry hindi 

जो शब्द खुला मुॅ॑ह से
जो ऐलान हुआ मंच से
भाव न समझों -
क्या-क्या भर दूॅ॑
हाँ,मैं राजनीति हूॅ॑

ताली बजाओ शब्दों से
भ्रम फैलाओ चापलूसों से
अफवाहों का लगाओ डेरा
सच हो जाए झूठ
न पकड़ पाए पुंछ
हाँ ,मैं एक राजनीति हूॅ॑

yes i am politics poetry hindi 

देखों,वो जुड़ेगा इसमें
बिना मुंछ लड़ेगा जिसमें
न देखों ,किसी का सपना
हित सर्वोपरी हो
जो मेरे करीब हो
क्या-क्या न कर दूॅ॑
हाँ, मैं राजनीति हूॅ॑

जन का चेत ,विस्मय हो जाय
सत्य तड़पें,मृत्यू हो जाय
कोई रोएं,कोई सोएं
मेरे दिल में शुकून हो जाए
स्वार्थ की पराकाष्ठा
तुम्हारे घर तक चल दूॅ॑
हाँ ,मैं राजनीति हूॅ॑

लोगों में बस जाऊॅ॑
तो तोड़ दूॅ॑ रिश्तों को
उसके अपनों को
जितना बिखरता हैं आवाम
उतनें ही आए मेरे काम
बोलों तो तुझे भी तोड़ दूॅ॑
हाँ ,मैं राजनीति हूॅ॑

हर सिक्के के दो पहलू
अपनी मर्जी एक को रख लूॅ॑
मासूमियत जितने  भी हैं जो
उसमें कुटिल तर्कों से शंका भर दूॅ॑
हाँ,मैं राजनीति हूं

जब लोग कह दे
गलत में भी हाँ  भर दें
जब दिल में ख्याल अलग
और व्यवहार अलग कर दूॅ॑
तो क्यों न चतुराई से लूट लूॅ॑
हाँ,हाँ,मैं ही राजनीति हूॅ॑

जिसकी सिसकी , रोए वो कोने में
अपना तो मजा हैं,कुर्सी में
एक -दो की परवाह किसको
हमें तो वोट लेना हैं हजारों में
अमन की बातों को उगलियों में नचा दूॅ॑
हाँ,भाई हाँ,मैं ही राजनीति हूॅ॑ !!!

लोग गणितीय सिद्धांत
जोड़ और घटाव को 
भूल सकते हैं 
लेकिन राजनीतिक जोड़ घटाव
बखुबी कर लेते हैं !!!

राजनीति को तुम जानते हो
यदि मानते हो
उचित तो
स्वाभाविक है
तुम भी शामिल हो
राजनेताओं की तरह
लाभ हानि देकर
कुदते हो बंदर की तरह
इधर उधर
सिद्धांत विहीन
चरित्रहीन !!!!
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        बेमेतरा,छत्तीसगढ़/


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