today's trends
अब के लोग कैसे दिन काट रहे हैं
वक्त है ऐसा सब ज़मीर काट रहे हैं
जिसके शाखाओं पे खेलते थे बच्चे
वो शख्स देखो अब पेड़ काट रहे हैं
रात के अंधेरे में जो करते है चोरियां
दिन के उजाले में कंबल बांट रहे हैं
सफ़र के मुसाफिर को छांव चाहिए थोड़ी सी
साथ-साथ चलते हैं और गला काट रहे हैं
उसकी दिवानगी का आलम न पूछो यारों
होश में कुछ, नशें में चाकलेट बांट रहे हैं
अजीब खुदाई है यारों तुम्हारे पास भी
माफ करना हमें ये 'राज़' बांट रहे हैं
वो धर्म का प्रचार करते हैं या बहलाते हैं
एक बोरी चावल और कम्बल बांट रहे हैं
उसे खुद को ऊंचा दिखाना है इस दुनिया में
खुद की छोड़ दूसरों की बुराई पर ज्ञान बांट रहे हैं !!!
__ राजकपूर राजपूत'
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