हॅ॑सना-मुस्कुराना भी बुरा लगता है
दबे है अनजान चाहतों से जो दिल
उसे इश्क के हर लफ्ज़ बुरा लगता है
प्यार था इसलिए जुबां पे शिकायत थी
नासमझ इश्क को हर लफ्ज़ बुरा लगता है
ठोकरें खाने की आदत सी है मेरी
दुश्मनों को मेरा हौसला बुरा लगता है
वो खुद को समेट कर खुश था बहुत
फिर क्यों लोगों को बुरा लगता है
चलों!जीओ अपनी जिंदगी को 'राज़'
हर किसी को समझाना बुरा लगता है
1 टिप्पणियाँ
Ati sundar
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