यूॅ॑ किसी की बातों पे जीना नहीं छोड़ते Just Talk Poetry Hindi

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यूॅ॑ किसी की बातों पे जीना नहीं छोड़ते
बहाने हैं बहुत मगर पीना नहीं छोड़ते

ज़हर है राजनीति क्यों पीते हैं लोग
फायदे के मौके नेता नहीं छोड़ते

ताल्लुक है अच्छे हमारे पड़ोसियों से
वो आते-जाते हिसाब नहीं छोड़ते

लिखते हैं बड़े-बडे लफ्ज़ जज्बातों के
दीवाने हैं वो शख्स मोबाइल नहीं छोड़ते

पीछे-पीछे चलते हैं जनाजों में लोग
शादी के मौके पे दूल्हे को आगे नहीं छोड़ते

खुशियाॅ॑ हैं अपनी ईद और दीवाली पे
जवानों का सूनापन सरहदें नहीं छोड़ते

चल देते हैं बेटियाॅ॑ ससुराल मगर
माॅ॑-बाप,भाई-बहन का प्यार नहीं छोड़ते

ऊॅ॑चाई कोई भी छूं सकता है "राज़"लेकिन
बेटें की चाहते माॅ॑-बाप नहीं छोड़ते !!!

Just Talk Poetry Hindi 


किताबों की अच्छाई 
सबको भाई
चर्चा के लिए 
बहस के लिए
किसी को बताने के लिए
किसी को समझाने के लिए
बस पसंद नहीं है
अपनाने के लिए !!!

___ राजकपूर राजपूत "

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