प्रेम एक मौन स्वीकृति हैं
तेरे मेरे बीच की
गहरी अनुभूति है
ऑ॑खों के रास्ते जो
हृदय में उतार जाते हैं
बोझिल जिंदगी भी
जिसे पाकर सवर जाते हैं
निःशब्द है मेरा प्रेम
संवाद कहाॅ॑ ..?
और जहाॅ॑ संवाद है
वहाॅ॑ प्रेम कहाॅ॑...?
बस एक आहट सुनाई देती है
मानों हवा गुज़र जाती हैं
बदन को छू कर
कपकपाकर
और तुम्हारा स्पर्श पाकर
बढ़ जाते हैं
तड़प जाते हैं
तुम्हें पाने को
नज़रें तलाशती है
इस सुनी दुनिया में
कशक भरे जीवन में
बस तुम्हीं को
और मेरी आशा है कि
तुम समझ जाओगे
मेरे प्रेम को
नई परिभाषाएं दे पाओगे
मेरा प्रेम निःशब्द है
जिसे तुम्हीं पढ़ पाओगे
___ राजकपूर राजपूत'राज'
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