Kahe apane Dil ki baat- आज कल के लोग खुद को इतना समझदार मानते हैं कि वह स्व घोषित बुद्धिजीवी हैं । जिसे समझा नहीं सकते हैं । जब भी दिल की बातें करो । अपना ज्ञान जरूर दें देते हैं । जहां भावनात्मक बातों की जरूरत होती है वहां दिमाग की लॉजिक करते हैं । दिल की सुनने वाले यहां कोई नहीं है । ऐसे लोगों को किसी भावना से कोई मतलब नहीं है । वो हर जगह अपना दिमाग चलाने की कोशिश करते हैं । इस पर कविता हिन्दी में 👇👇
Kahe apane Dil ki baat
कहे अपने दिल की बात हम किस तरह
समझे खुद को होशियार समझाए किस तरह
उन्हें सवाल पर भरोसा था जवाब पर नहीं
जिरह में रिश्ते उड़ रहे हैं पत्तों की तरह
अपने ही गम से निजात पा लेते तो अच्छा था
दुनिया की चिंता थी किसी फ़रिश्ते की तरह
नज़रों को ही समझने में मुझसे भूल हुई भारी
देख रहे थे वो मुझे किसी व्यापारी की तरह
शिक़ायत उसे भी है जमाने की रिश्र्वतखोरी से
लेते हैं रिश्र्वत अपनो से चाय-पानी की तरह
इश्क और सियासत में सब जायज़ मान बैठे
पैर जमाने खड़े है लंका में अंगद की तरह
लड़ते रहते कब-तक बुढ़े अपने बेटें-बहूओं से
कोने में पड़े है आजकल किसी बेगानों की तरह
_राजकपूर राजपूत "राज"
2 टिप्पणियाँ
बहुत अच्छा पर कई शब्द हमें समझ में नहीं आता जैसे कि जिरह
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएं