जीवन का सार है । जो सबके हृदय में सदा रहता है । Tumhari-anumati-mera-prem - सिर्फ अवलंबन चाहता है । प्रेम को जहां सहारा मिलता है । वहीं ठहरता जाता है । कविता प्यार की/ Kavita Prem ki hindi 👇👇
Tumhari-anumati-mera-prem-
प्रेम ki baat
मैंने कहना चाहा तुमसे
प्रेम की बात
लेकिन तुम्हारी अनुमति की जरूरत थी
तुम्हारे मन के भाव
कई बार टटोला था
इसलिए मैं चुप था
कुछ न कहा
मेरी हिम्मत न हुई
तुम्हारी अनुमति के बिना !!!!
प्रेम में अंतिम शब्द नहीं होता है
और न ही शुरूआत
प्रेम तो हृदय के बीच रहता है
बस जरूरत पड़ती है
अवलंबन की
तेरे मेरे भावों की
जो अनुमति के बिना
दबा रहा हृदय में !!!
तुम्हारी अनुमति मेरे Prem के लिए
तुम्हारी अनुमति के बाद
मैंने अपने प्रेम का
अवलंबन कर दिया
तेरे सामने
जिसे उम्मीद है
हमेशा सहारा पाने की !!!!
मैंने प्रेम को नहीं ढूंढा
मेरे प्रेम ने
प्रेम को ढूंढा
तुम्हें देखकर
मुझे ऐसा लगा !!!!
पहली नजर में
पहली नजर में
मेरा प्रेम
निश्चित हो गया था
तुम्हें देखकर
मेरा संरक्षण हो तुम
और मुझे तुझे पाना है
इस जीवन में
यही मेरी कोशिश रही
इस जीवन में
तुझे पहली नजर में देखकर !!!!
अनुमति एक तरह की स्वीकृति है
जिसमें बुद्धि और भावना होती है !!!
टटोला तुम्हारे मन को
उस वक्त तक टटोला
जब तक उम्मीद थी
तुम्हारे हर शब्दों को
प्यार की गुंजाइश कितना है
और मैंने पाया
तुम्हारे शब्दों के भाव में
कोई जगह नहीं थी
मेरे प्यार के लिए !!!!
तुम्हारी अनुमति मेरा प्रेम
जब स्वीकार होगा
तुझपे मेरा अधिकार होगा !!!
मेरे प्रेम बिना
तुम सुंदर नहीं हो सकते
मैंने जितना जाना
उतना पाया
सुन्दरता के सारे मापदंड
तूने पार किया है
मेरी नज़र में
क्योंकि मैं प्रेम में था
इसलिए तुम सुन्दर थे
सब कुछ तुझमें था
जो जरुरी होती है
सुन्दरता के लिए
बेशक तुम लग सकते हो
किसी और की नज़र में
थोड़ा कम या बिलकुल कम
क्योंकि उसे
तुझसे
प्रेम नहीं मेरे जैसा
इसलिए तुझपे कमी देखेंगी
सदा
जिसके शब्दों में
एक घृणा, नफ़रत
बीच-बीच में दिखाई देगी !!!
तुम्हारी अनुमति के बिना भी
मैं तुझे प्रेम कर सकता हूं
ख्याल मेरा है आराम कर सकता हूं
मेरी खामोशियों को तुम पहचानों
एक सुकून है, एक लय है
क्योंकि मेरे ख्यालों में तुम हो
जिसकी धुन में मैं मस्त रह सकता हूॅं !!!!
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