rajniti kya hai article sahitya jivan-
राजनीति की सीमा-
-सियासत को हर जगह बोलने, शामिल करने की छूट नहीं देनी चाहिए । वर्ना ये ऐसी चीज है । जो सबके मूल रूप को बदल कर विकृत कर देता है । जितने सियासतदान आएंगे । परिभाषित करेंगे । अपने मतलब के हिसाब से ।
- सियासत ऐसी चीज है जो गलत को सच और सच को गलत साबित करने की क्षमता रखती है । यदि सियासतदान के हितों की बातें हो ।
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राजनीति अव्यवस्था का कारण है-
- सियासत का जितना प्रचार-प्रसार होता है । उतना ही समाज और व्यक्ति बिखर जाता है । समाज में नफ़रत का फैलाव होने लगता है । सियासत सुविधा में अव्यवस्था का निर्माण करती है ।
- सियासत को जितनी शक्ति मिलती है । उतनी शक्ति किसी प्रतिभावान व्यक्ति को नहीं मिलता है और न ही आदर्श इंसान को ।
- एक सियासतदान से ज्यादा सुकून सियासत से दूर व्यक्ति को मिलता है । भले ही शक्ति कम हो । उसे रचना नहीं पड़ता बनावटीपन की ।
राजनीति का चरित्र
- सियासत में किसी चरित्र भूमिका निभाना सरल है । उस टिकना मुश्किल है ।
- समयानुसार अवसर मिले तो सियासतदान अपनी पहचान गिरा देते हैं । फिर बना लेते हैं । यही सियासत का दोहरा मापदंड है ।
-सियासत में अपना सिद्धांत गुप्त तरीकों से स्थापित किया जाता है । अर्थात बहलाकर न कि समझाकर ।
- सियासतदान व्यक्तिगत जीवन में असफल ज्यादा होते हैं । सार्वजनिक क्षेत्रों की अपेक्षा । क्योंकि सार्वजनिक दुनिया में बनावटीपन की भूमिका निभाना सरल और सहज है लेकिन व्यक्तिगत रूप से जुड़े लोगों से असलियत छुपाना कठिन ।
राजनीतिक समूह का निर्माण-
-सियासत समान विचारधारा के लोगों का समूह होता है । जो विपरीत विचारधारा से नफ़रत या स्वार्थ पूर्ति में जुड़े होते हैं । जनसामान्य से लेकर बुद्धिजीवी तक । जहां बुद्धिजीवियों द्वारा एजेंडा तय की जाती है । जनसामान्य आक्रमकता से प्रचार करते हैं ।
-सियासत लोग इसलिए जुड़ते हैं । ताकि सुविधा और ताकत मिले ।
-सियासत संगठित समूहों से डरता है । भले ही मुर्खों द्वारा स्थापित हो । उसके विरुद्ध जाने से पहले सौ बार सोचेगा ।
-सियासत ही सबसे ज्यादा व्यवस्था को नियंत्रित करती है । यदि व्यवस्था को नियंत्रित नहीं कर पाते हैं तो उसका अस्तित्व नष्ट हो जाता है ।
- सियासत में विश्वास करना स्वयं को धोखा देना है । इतिहास यही कहता है ।
-सियासत को मुर्ख और नंगे लोग ज्यादा नियंत्रित करते हैं । अच्छे इंसानों की अपेक्षा । उसकी आक्रमकता सोचने के लिए मजबूर करती है । भले इंसान आक्रमकता नहीं दिखा सकता है । सीधे बैल से कौन डरता है ।
तुलनात्मक राजनीतिक विचारधारा
- सियासत बुद्धि तुलनात्मक बातें ज्यादा करती हैं । जिससे उसकी बुराई से ध्यान हटाया जा सके ।
- संसार में जितने भी असंतोष है । उसके पीछे सबसे ज्यादा सियासत बुद्धि है । जिसने किसी भी विचार को शुद्ध रूप में प्रस्तुत नहीं किया है ।
- जिसके धर्म में सियासी चाल है । वो धर्म खुद को बेहतर बचाव करता है । सादगी और सरल धर्म की अपेक्षा ।
- जिस व्यक्ति की सियासत बुद्धि का पता चले । उसे अस्वीकार कर देना चाहिए । नहीं तो साथ रहकर अंतरात्मा को नुक़सान पहुंचाएगा ।
- भेद जानना, कमजोर कड़ी को समझना/अपने और पराए लोगों का । सियासत बुद्धि में परांगत होने की कला है । ध्यान रहे अपना भेद देना सबसे बड़ी मुर्खता है ।
- सियासत बुद्धि जज्बातों को एक सिरे से काटती है । जबकि जज़्बाती लोगों से फायदा उठाती है ।
-दोषारोपण करना सियासत की अपनी पहचान बनाने की दृष्टि है ।
- और आखिर में फैसला आपके हाथ में है । जिस बुद्धि से जीए लेकिन थोड़ा बहुत सियासत बुद्धि आपके पास होना चाहिए । क्योंकि ये ऐसे हथियार है जिससे बिना लाठी तोड़े सांप को मारा जा सकता है ।
-rajkapur rajput
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