कुछ कर गुजरने का वक्त है
दुनिया को सिखाने का वक्त है
कमजोर ना समझना मुझे कभी
बस औकात दिखाने का वक्त है
साबित कर दूंगा मैं क्या चीज हूॅ॑
अब हैसियत दिखाने का वक्त है
हस्ती मिटाने की कोशिश है उसकी
आसमान को जमीं दिखाने का वक्त है
दिन भर का थका शाम ढल चुकी है
ऐसे मेंं तेरी बाहों में आने का वक्त है
---राजकपूर राजपूत''राज''
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