कितना अच्छा होता है how-good-happens-poetry-literature-life

कितना अच्छा होता है 
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 कितना अच्छा होता है

वो बातें जो तुम्हारे हिसाब से है

तब तक मैं भी अच्छा हूं

तुम्हारे लिए

तुम भी बातें करते हो

मेरे अनुकूल

मीठी- मीठी और कूल - कूल

तब तक अहसास नहीं होता है

हम दोनों अलग - अलग हैं

जैसे ही तुम्हारे विपरीत

मुंह खुलता है

तुम्हारे अपनापन की जगह

नफ़रत दिखाई देती है

क्या हमारे - तुम्हारे रिश्ते

इतने कमजोर थे !!!!

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कितनी  अच्छी  है 

ये धरती ये अम्बर 

और तुम 

कब तक 

जब तक

तबियत ठीक है 

दिमाग ठीक है !!!


कितनी अच्छी है 

तुम्हारी बातें 

तुम्हारें इरादे 

कब तक 

जब तक 

मतलब की पूर्ति न हो जाए !!!


कितना अच्छा होता है

अपने एजेंडे में जीना

स्थापित करना

दूसरों की कमी निकाल कर

हंस लेना

ऐसे तब तक नहीं होगा

जब तक तुम

बेहतर दोगला न बन पाओ !!!

-राजकपूर राजपूत
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