भड़ास निकालना euphemism-article-hindi

 भड़ास निकालना-

euphemism-article-hindi  - इसका कारण हमसे घृणा, नफ़रत है । जो समय के साथ उभर कर आती हैं । बेशक बातों से अपनापन तो हमेशा दिखाएंगे क्योंकि उसका काम निकल रहा है । मगर जिस दिन उसके हितों के अनुरूप नहीं हुए तो छोटी सी बुराई भी बड़ी बना कर प्रस्तुत करेंगे । ऐसी-ऐसी बातें करेंगे जिसका कल्पना करना मुश्किल है । बुराई हमारी नहीं । उसकी सोच की है । 

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- अगर पहले से पता लगाना है तो-


  • ऐसे लोग अपनी बातों को प्राथमिकता देते हैं । जब अपनी बातें कहना शुरू करते हैं तो नजरअंदाज करने लगते हैं । दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं ।
  • हमारी गलती है कि हम उस पर विश्वास करते हैं । जबकि वो अपने इरादों से भटकते नहीं है । चाहें कितना भी अपनापन दिखा लो ।
  • सियासत बुद्धि के होते हैं । जिसे पहचानना मुश्किल है । लेकिन फायदा लेने से चुकते नहीं हैं । वो अपनी बातों को कहना भूलते भी नहीं है । जबकि हम पिछड़ जाते हैं ।
  • हमारी कई बातें उसे पसंद नहीं होती है । जिसके कारण हमारी तारीफ गैरों से नहीं कर पाते हैं । हमारे किए हुए अच्छे कार्यों से उदासीन रवैया अपनाते हैं ।
  • बिन मांगे कुछ देते नहीं और देते हैं तो अहसान जताते हुए । अपनापन का प्रदर्शन करके । मानों उसके बदले कभी कुछ ले लेंगे ।
  • हमें गलती करने की छूट देंगे । सुधारेंगे नहीं । ताकि मौका मिले तो कमजोर होने का अहसास करा सकें । जैसे कोई दुश्मन हो ।
  • कोई दूसरा हमारी बुराई करें तो सुन कर आ जाएंगे लेकिन उसे टोकेंगे नहीं । उल्टा हमें बताएंगे । ताकि हताश हो जाएं । अगर पूछ लो कि आप टोके क्यों नहीं तो कोई बहाना करेगा ।
  • वो अपने से छोटा मानते हैं या बड़ा लेकिन नफ़रत जरूर करते हैं ।
  • अपने किए हुए कार्यों को तथा जिसे चाहते हैं । उसे हमेशा बड़ा  बताएंगे । आदि !!!
  • ये सब कार्य, तरीके भड़ास ही है जिसे हम अपने व्यक्तिगत पसंद, चाहत या विश्वास के कारण ध्यान नहीं रख पाते हैं । 
  • भड़ास निकालना आजकल आम है । जो लोग कह नहीं पाते हैं । उनके लिए सोशल मीडिया है । जहां स्टेटस अपडेट कर, फेसबुक पर पोस्ट कर अपना संदेश उन लोगों तक पहुंचाते हैं । जिन्हें कभी सामने कह नहीं पाते हैं । और लोगो की आदत है कि अपना फोन खोलकर देखते हैं । सामने वाले के शब्दों को पढ़कर आधात लगने जैसा व्यवहार करते हैं । हर किसी की स्टेटस उनकी हैसियत है । जिसे दिखाने के लिए लोग पोस्ट डालते हैं । 
  • सिद्धार्थ शर्मा वत्स  जिनके लिए कम पड़ गया है । वहीं जाने । दलित चिंतन, मुस्लिम हितेषी लोग । सेक्युलर गिरोह को ज्ञान वहीं से मिलते हैं । उनके लिए कोई पुस्तक छपा ही नहीं है ।
  • -rajkapur rajput 
  • इन्हें भी पढ़ें 👉 बुद्धि और सुन्दरता 
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