bazaar-price-what-is-ghazal-hindi-
मैं एक बाजार में हूं
हां, मैं एक किरदार में हूं
मैं एक बाजार में हूं
सजी है दुकानें दुनिया की
ऐरे गेरे मत समझना
मैं तो खरीदार में हूं
bazaar-price-what-is-ghazal-hindi
बता तेरी कीमत क्या है
ईमान के व्यापार में हूं
तेरा सौदा जमा तो ठीक है
वर्ना दूसरों के लिए तैयार में हूं
जब से रिश्ता समझौता हुआ है
हर किसी से तकरार में हूं
नफरती है उसकी आलोचना
और मानता है मैं साहित्यकार में हूं
उसकी बातें सच मानो तो ठीक है
पलट के जवाब दो तो हमलावर में हूं
क्या चीज़ देखें हैं उसमें जो यकीन करें
अब तो मैं भी शिकारी के शिकार में हूं
बोलना अब मैंने भी सीखा है
तब से मैं उसके लिए बेकार में हूं
अभी तो शुरू की है
मैं तो लड़ने को तैयार में हूं
उसे धोखा हो गया था
यही कि मैं समझदार में हूं
कभी खुद कहता हूं कभी सुनता हूं
ध्यान रखना इसी एतबार में हूं
तुम्हारा ख्याल मैं बेवकूफ हूं
नहीं मैं तो मौके का इंतजार में हूं
मेरा ख्याल रखना दोस्तों
मैं तो आजकल प्यार में हूं !!!
बाजार आवाजें दें रहा था
कई तरह के प्रलोभन से बुला रहा था
खरीदना तुम्हारा गर्व होगा
ऐसे विज्ञापन दिखा रहा था !!!
अत्यधिक चाहा
और खुद को मिटा गया आदमी
एक उम्मीद टूटी
और मर गया आदमी !!!!
आजकल सच के लिए नहीं लड़ते हैं
लड़ते हैं कि मैं सच हूं
मेरी सुविधा महत्वपूर्ण है
चाहें नारी की बातें करें
किसी बच्चे का
किसी दलित का
देखते हैं तो इन्हीं में
लेकिन नारी के साथ
पुरुष
बच्चे के साथ
माता पिता
दलित के साथ
उच्च वर्ग
हेय दृष्टि से देखने लगे !!!!
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-राजकपूर राजपूत
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