विज्ञापन का उद्देश्य क्या है - ad-for-purpose-what-is-poetry-hindi-literature-life स्वयं को बड़ा दिखाना है । कच्चे माल को पक्का दिखाना है । प्रेरित इस तरह से खरीदने के लिए मजबूर कर जाना है । विज्ञापन टीवी पर आए या दीवार पर चिपके । लोगों का ध्यान जाता है । और जिसका ध्यान गया, उसका ज्ञान गया । फिर चिंतन मनन होगा । एक बार भूल जाएंगे लेकिन बार-बार दिखाएंगे । अंततः खीचव हो ही जाएगा । लगाव हो ही जाएगा ।
विज्ञापन चीजों का बस नहीं दिखाते हैं । आदमी स्वयं को भी प्रस्तुत करते हैं । दिखावा और झूठ का प्रचार इस तरह से करते हैं कि सच हार जाते हैं । पढ़िए इस पर कविता 👇
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बाजार में सजे
बड़े कम्पनी के विज्ञापन की तरह
रिश्तों में जगह बनाएं हुए थे
जिसकी कीमत क्वालिटी में नहीं
मार्केटिंग में था
जिसे ग्राहक के रूझान से
बनाया गया था
दिखाया गया था
आकर्षक रूप में
जिसके कारण ग्राहक का ध्यान
नहीं गया क्वालिटी में
क्योंकि एक व्यापारी जानता है
किसी बड़े अभिनेता को
खड़ा कर दो चड्डी पहनाकर
तो कम कीमत की चड्डी
ऊंची कीमत दे जाती है !!!!
वो अर्धनग्न होकर भी ठीक है
हम पूरे कपड़ों में बेकार
उसमें वो काबिलियत है
वो बुरे होकर अच्छे
हम अच्छे होकर बेकार
समझौतों के रिश्ते को अच्छा बना दिया
प्रेम के सात जन्म बेकार
उन लड़कियों की आजादी भी अजीब
उनका पर्दा नैतिकता की पाठशाला
हमारा बहुत बेकार
चार बीबी बदलने से प्रगतिशील है
हम एक निभाएं तो बेकार !!!
वो आकर जब भी बोलते हैं
सियासत से मुंह खोलते हैं
बड़ी बुद्धिमत्ता, बड़ी सरलता
इस तरह एजेंडा स्थापित करते हैं
किसी को कानों-कान खबर नहीं
दूसरों की गलतियों से उलझाते हैं
जो बाहर नहीं निकल सकते हैं अपने इरादों से
अच्छी बातों से बहलाते हैं !!!
-राजकपूर राजपूत
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