जिंदगी का सफ़र Jindgi-ke-safar-kavita-hind

Jindgi-ke-safar-kavita-hind- 

जिंदगी का सफ़र 

 तुमने पढ़ना छोड़ दिया होगा

एक पढ़ाई के बाद
किताबें बंद कर दी होगी 
डिग्रियां लेने के बाद
अब तुम्हारे पास चुनौतियां होंगी
जिंदगी को सरलतम रूप में जीने की
इसलिए निकल गए हो
जिंदगी की तलाश में
इधर - उधर
और जब कभी मिल जाएगी जिंदगी
तुम्हारे पूर्व में निर्धारित जिंदगी
जहां तुम खड़ा हो जाओगे
तब भी तुम देखोगे
जिंदगी आगे और है
और फिर दौड़ना शुरू हो जाएगा
उस ओर जहां तुम्हें
जिंदगी दिखाई दे रही है
अगर दौड़ना शुरू नहीं करते तो
वर्तमान से खिन्नता होगी
जो शायद ! 
तुम्हारे असंतोष की वजह है !!!!!

Jindgi-ka-safar-kavita-hind


जिंदगी का सफर
एक ऐसा सफ़र है
जो कभी खत्म नहीं होता है
मजबूरी में शरीर का त्याग करना पड़ता है
वर्ना चाहत तो थी
अभी और कुछ देर चलते !!!!

एक सफ़र का खत्म होते ही
दूसरे सफ़र की शुरुआत हो जाती है
जिसको या तो असंतोष का नाम दो
या फिर जीना छोड़ दो !!!
 -राजकपूर राजपूत 
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