रिक्शा ठेलता हुआ आदमी कविता

 भरी दुपहरी में

जेठ के महीने में
रिक्शा ठेलता हुआ आदमी
आदमी का बोझ उठाए हुए आदमी
अभ्यस्त नहीं है
भीषण गर्मी का
तेज धूप में
जलने का
सिर्फ आदी है
अपने अरमानों का
इसलिए चलता है
कड़ी धूप में !!!
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