his-worth-only-what-is-poetry-meregeet-literature-life
(१)
उन आलोचनाओं से
नहीं डरना चाहिए
जिसमें नफ़रत के साथ व्यंग्य हो
ओ हताश है हमसे
जिसकी औकात है हमसे
बस लकीरें काट रहा है
हमसे बड़ा होने के लिए
वर्ना हमारी औकात से
छोटी रहेगी हमेशा
उसकी औकात !!!
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उसकी औकात ही क्या
जो रोज नफरतों में जीते हैं
दूसरों की जीवन शैली को
कोसते हैं
जिसने कभी
बेहतर उदाहरण प्रस्तुत नहीं कर पाए
दूसरों को सलाह देते हैं !!!
जिसे हमने अपना माना था
अपने शर्तों से
जमाना देखा है
कितने भी झुक जाओगे
मतलब से बाहर नहीं निकल पाएंगे !!!!
(२)
जिसे सुनाना था दर्द मगर वो सुना नहीं था
जिसे चाहा था हमने मगर उसने चुना नहीं था
हमें क्या ख़बर थी कि वो बिजली की तार
हमारी तो जान ही गई उसे छूना नहीं था !!!
उनकी औकात ही इतनी है
मेरी कमजोरियों पे हमला करना
जलते हैं वो शख्स जो
अच्छाई देख नहीं पाते !!!
वो खुब विद्वान होगा
बहलाना, फुसलाना होगा
एजेंडे में स्थापित
सियासी ज्ञान होगा
जोड़ेंगे नहीं मगर तोड़ेंगे ज़रूर
उसे इतना ध्यान होगा !!!
उसकी औकात ही क्या
जो पूर्वाग्रही है
जो फैसला सही कर सकें
अपने बिरादरी में कुछ और
दूसरों में कुछ और हो जाए
दोगलापन में माहिर होते हैं
जो लोग !!!!
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