आजकल मनमर्जी परिभाषाएं गढ़ी जा रही है ।Truth-is-covering-you-potry. सुविधा के हिसाब से । जो भाव प्रगट हो रहा है । उसे व्यक्त करों । भले ही सामाजिक नजरिए से गलत हो । लेकिन व्यक्तिगत जीवन में बेहतर है तो अपनाओं । शर्तें यही है सीमाओं में मत बंधों किसी मर्यादित जीवन में । चाहे इज्जत, सम्मान किसी दूसरों की नजरों में कुछ भी । लेकिन तुम्हारी चाहत है तो उसे खुले आम करो । यही प्रगतिशील विचार है । पढ़िए इस पर कविता 👇👇👇
Truth-is-covering-you-potry.
सत्य तुम्हें ढका जा रहा है
कुतर्को से
धर्म तुम्हें छला जा रहा है
अपनी सुविधाओं से
कोई विद्वान बनके
कोई महान बनके
नई परिभाषाएं गढ़ी जा रही है
जिसे कोई मतलब नहीं है
न सत्य से
न धर्म से
जिसकी दृष्टि
केवल भौतिकता से है
सुख सुविधाओं से हैं
वो त्याग, दया
करूणा, समर्पण क्या जाने !!
जिसे केवल अर्थ से मतलब है
वह धर्म की राह चल पाएगा
सत्य का कष्ट सह पाएगा
इसलिए सत्य को
अपनी सुविधानुसार परिभाषाएं दे रही है
मुर्ख लोग
विद्वान बनके !!!!
धर्म तुझे (हिंदू धर्म)
थका रहा है
सियासत बुद्धि से
और तुम बचाव की मुद्रा में खड़े हो
तुम्हारी एक-एक बुराई पर
हमला हो रहा है
इस तरह से
जैसे तुमसे बड़े बुरे कोई नहीं है
तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा
जिसे जंगली जीवन बेहतर लगता है
सभ्य जीवन से
अर्धनग्न कपड़े
खुला सेक्स
जिसे आजादी से जोड़ दिया गया है
मनमर्जी स्वाभाव
जैसे जानवर मर्यादित नहीं रह पाते
या सीख नहीं पाते हैं
वहीं जीवन भाते हैं
तथाकथित बुद्धिजीवियों को !!!
सत्य तुम्हें छला जा रहा है
सुविधा के हिसाब से
जानते हुए भी
तुम्हारी जरूरत है
जीवन की स्थिरता के लिए !!!
सत्य तुम्हें ढका जा रहा है
एक पुरुष द्वारा
एक स्त्री को
छोटे-छोटे कपड़े पहनने के लिए
प्रेरित किया जा रहा है
ताकि पुरुष को
रोमांचित लगे
उत्साहवर्धक के लिए
पुरूष छोटे कपड़े नहीं पहन सकता
यूं सरेआम
जिस तरह से
एक स्त्री पहन ली जाती है
क्योंकि पुरुष प्रधानी करते हैं
खुद को नंगा करना
असहज महसूस करा सकते हैं
जबकि स्त्री का छोटा कपड़ा
उत्साहित !!!!
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