चुपके-चुपके से poem on night

poem on night

 समझती है रात

दिल की बात

इसलिए रात के अंधेरे में

चुपके-चुपके से

तेरी यादें ले आती हैं

तेरे जाने के बाद

और मेरा खालीपन

भर जाता है

मेरे ख्यालों में

तेरे आने के बाद !!

poem on night

प्रेम चुपके से आते हैं

और हृदय में बस जाते हैं

लेकिन जब जाते हैं तो

शोर बहुत होती है

आंखें रोती है

हृदय टूट जाता है

जैसे कोई बड़ा पेड़ गिर जाता है !!!


रात वो खाली समय है

जिसमें खलल नहीं होती है

किसी बाहरी की

जहां मैं सोच सकता हूं

लगातार

ख्वाब बुन सकता हूं

ख्याल बना सकता हूं

दिन के उजाले में

तुमसे प्रेम कैसे करना है

यदि तुम

रात की तन्हाइयों में 

नहीं मिलते हो तो

दिन के उजाले में

कोशिश होगी

बेहतर !!!


जब प्रेम

बुरे इंसानों से हो जाता है

बुरे इंसान बुरे नहीं लगते हैं

बुरा लगता है

अपना प्रेम

जो ठगा गया

किसी बेगैरत के हाथों !!!!

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poem on night



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