poem on attitude अपूर्णताओं में शामिल होना बुरी बात है । लेकिन अपूर्णताओं को तटस्थ भाव से देख सकते हैं । शांति से । यदि हम उसकी प्रकृति में बदलाव ला नहीं सकते हैं तब । यदि बदलाव की उम्मीद है तो प्रयास कर सकते हैं ।
सबकी अपनी-अपनी प्रकृति, सोच, विचार और अहसास आदि होते हैं । जिसमें हेरफेर करना हमारी और उसकी अशांति का कारण हो सकते हैं । जिसे स्वीकार करना चाहिए ।
poem on attitude
स्वयं का नजरिया
स्थिर है आदमी
किसी चट्टान पे
मैंने कई बार कहा
उतर आओ
हरियाली है
नीचे जमीन पे
लेकिन नहीं सुनी मेरी बात
खड़ा रहा
स्वयं के स्थापित
ऊंची चोटी पे
जो अच्छे-बुरे में
अंतर नहीं कर सकते हैं
मगर खड़ा है
अपनी मुर्खतापूर्ण बातों में
अपने ही तर्क
अपना ही नजरिया
जिसे जाना है
पास में तो
बदलना होगा
स्वयं का नजरिया
जिसके लिए कोई तैयार नहीं !!!!
बहलाकर
झूठ दिखाकर
सच बदला जा सकता है
सियासी चोला ओढ़कर !!!
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