तुम्हारी चाहत Chahat-per-kavita-hind

 Chahat-per-kavita-hind

मेरा विश्वास है कि

तुम नहीं सुधरोगे

क्योंकि तुमने

इरादे छुपा लिए

अपने दिल का

जहॉं तुम्हारी चाहत है

दिल की

जिसे आश्रय दे चुके हो

बुद्धि से

और यहॉं अच्छे बन रहे हो

बाहर से

सबके सामने

जिसे मैं समझ रहा हूॅं

दिल से

दिमाग से


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