देश की संस्कृति और सभ्यता
देश की संस्कृति और सभ्यता पर सवाल उठाने वालों की भरमार संख्या है ।देश और हिन्दू संस्कृति का मज़ाक उड़ाना आसान है । जिन लोगों की सोच और चिन्तन सुविधा के आधार पर होता है । जिस काम को करने में उसे कष्ट और तकलीफ मिलने की उम्मीद होती है ।या फिर जो लोग इसे चुनौती देते हैं । इसको आइना दिखाने की कोशिश करते हैं । वो विरोध करते हैं । विरोध ऐसे करते हैं कि वह टूट ही जाए । सामने वाले उसकी सोच को स्वीकार कर लें । इसलिए बड़े ही अक्लमंदी की तरह अपनी बात रखते हैं । सियासी ढ़ंग से । जवाब दे तो खिल्ली उड़ाते हैं । एक देशभक्त और हिन्दू खुद के भीतर झांकने का प्रयास करें । न कि उसे पलट वार करने का मौका दें ।
देश की संस्कृति और सभ्यता को नष्ट करने की कोशिश हो रही है -
सोची-समझी रणनीति के तहत काम करते हैं । इनका अपना गिरोह होता है । जो तुरंत ही इक्ट्ठे हो जाते हैं । सोशल मीडिया पर । नफरती बातें लिखकर थकाने की बातें करते हैं । ताकि वहां से भाग जाएं ।
इनका अपना एजेंडा है जिसे स्थापित करने का प्रयास है । जिस कार्य में ऐसे लोग लगातार लगे हुए हैं ।
देश की संस्कृति और सभ्यता पर हमला करने वाले कोई बुद्धिजीवी नहीं है -
ये कोई विद्वान लोग नहीं हैं जो हमारी बुराई को बता रहा है । ये लोग केवल नफरती लोग होते हैं । हर बात को तोड़-मरोड़कर अपने पक्ष में करने की कोशिश करते हैं । बहकाते हैं सबको ।
जबकि खुद के बुराई को ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानों वो सर्वश्रेष्ठ है । ग़ौर से देखो तो पता चलेगा कि इनमें बुराई की भरमार है । एक अच्छे इंसान के आसपास भी नहीं भटकते हैं । ये लोग रावण को भी आदर्श मानते हैं । क्योंकि हिन्दूओं की आस्था के विपरित है । चिढ़ाने के लिए ।
लेकिन ध्यान देना इनमें रावण के कोई गुण मिलते भी नहीं है । केवल अहंकारी के सिवा । इसी अंहकारी को बस भगवान राम ने स्वीकार्य नहीं किया था । जिसके कारण रावण मारा गया ।
एक जिम्मेदार इंसान कभी किसी की बुराई नहीं करता है । और न ही किसी की खिल्ली या मज़ाक उड़ाते हैं । चाहे किसी के विचार मिले या न मिले ।
जब तक किसी की श्रद्धा और विश्वास किसी के लिए परेशानी का कारण न बन जाते हैं । उसपर जीने का पूरा हक़ है ।
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