ghazal on love_
Jaise Mera dhar hai
प्यार वो शहर है
जैसे मेरा घर है
भटक जाता हूॅं अक्सर
कहकर यही सफर है
तुम चाहो या न चाहो
लेकिन तेरी खुशी मेरा प्यार है
और कहां मैं जाऊं अब
तेरी बाहों में मेरा संसार है
ये जो दुनिया है बहुत बुरी है
तू कहीं बिछड़ न जाए यही डर है
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