Koan hishab rakhe Poetry
कौन हिसाब रखे
इंटरनेट के जमाने में
किताब कौन रखे
खुद जी ले बेहतर तो ठीक है
वर्ना ख्याल दूसरों का कौन रखें
पैसों का मोल है प्यारे
वर्ना रिश्तों का अहमियत कौन रखें
अच्छी बातें केवल रट्टा मार है
देना है दूसरों को अपने पास कौन रखें
उसे नींद नहीं आती रातों को
व्यस्तता ऐसी है सुकून कौन रखें !!!!
Koan hishab rakhe Poetry
उसकी महानता
नष्ट कर देगा
वो एजेंडा धारी
जिसने बुरे इरादे
स्थापित करने की ठान ली है
खासकर
सुधारात्मक आलोचना कर्ता को
जैसे कबीर
उसकी सुधार भावना को
अपने एजेंडे में स्थापित कर लिया है
जिसे पढ़कर
देखकर
कबीर या अन्य महान व्यक्तियों को
हम ग़लत अर्थों में ले रहे हैं !!!!
कौन हिसाब रखें
जिसने तर्कशील होने का ढोंग कर लिया है
महान लोगों की उक्ति
अपने हिसाब से प्रस्तुत कर रहे हैं
जो मुर्ख कभी गहराई में
उतरे नहीं है !!!!
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-rajkapur rajput
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