मैं कोई गीत
गुनगुना नहीं पाता हूॅं
सस्वर में
फिर भी गुनगुनाता हूॅं
अपने ही स्वर में
मुझे जब भी
तेरा ख्याल आता है
ये दिल गुनगुनाता है
जिसका मतलब नहीं जानता
फिर भी गुनगुनाता हूॅं
जिसके हर शब्द के भावों में
सिर्फ तुम हो
मैं कोई गीत
गुनगुना नहीं पाता हूॅं
सस्वर में
फिर भी गुनगुनाता हूॅं
अपने ही स्वर में
मुझे जब भी
तेरा ख्याल आता है
ये दिल गुनगुनाता है
जिसका मतलब नहीं जानता
फिर भी गुनगुनाता हूॅं
जिसके हर शब्द के भावों में
सिर्फ तुम हो
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