बहुत हो गई दौड़ जिंदगी

ghazal on love_hindi

चलो लम्हे चुराते हैं

जमाने को भूल जाते हैं

बहुत हो गई दौड़ जिंदगी

चलो बैठकर बतियाते हैं

न कुछ शेष रहे जीवन में

मन की प्यास बुझाते हैं

बहुत हो गई दौड़ जिंदगी  !!!

ghazal on love_hindi

अब मैं थक रहा हूं

ये सियासत ये चालाकियां

अब मैं थक रहा हूं

उसकी बातें उसका व्यवहार बहुत अंतर है

अब मैं थक रहा हूं

तुम्हें यकीन होगा उन बुरे लोगों की बातें

दोगलापन से मैं थक रहा हूं

जितना वो बताया जितना वो समझाया

मैं थक रहा हूं

मनोबल टूटा है अच्छी बातों से लूटा है

जिसे देख देख मैं थक रहा हूं 

इसलिए ऐसी दुनिया छोड़ो

मैं कह रहा हूं !!!!


अन्याय करोगे, 

पत्थर बरसाओगे, 

और न्याय की उम्मीद भी करोगे । 

फिर ऐसी बात करोगे,,,

दोगलापन है ।

विरोधियों में

सत्ता पक्ष में

जब तक

एक दूसरे की सच्चाई की सम्मान नहीं होगा

लोकतंत्र अधूरा होगा 

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