articles on spirituality ईश्वर मेरे लिए एक चेतन तत्व है जो सभी जगह विद्यमान है ।
ईश्वर मेरे लिए - शरीर के भीतर छुपा वो चेतन तत्व है । जिसके निकलते ही शरीर निष्प्राण,, निर्जीव हो जाते हैं । सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड की बात करें तो ऐसा निर्माण कर्ता जिसने प्रकृति का निर्धारण,, नियम व शर्तो में रच दिया है । और खुद ही तटस्थ होकर संचालित करता है । लेकिन भागीदारी नहीं होता है । ईश्वर है ।
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अगर ईश्वर भागीदार है तो उसके बनाई कृति में कमी है । प्रेम और नफ़रत के भाव है । ऊंच-नीच से बनाया गया है । किसी को ज्यादा अधिकार तो किसी को कम । ईश्वर की निष्पक्षता संदेह के घेरे में है । इसलिए वो भागीदार नहीं है । बल्कि तटस्थ हैं,, सबसे । सबके पास रहते हुए भी । सबमें एक प्रकृति निर्धारित कर । जिसे प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों को प्राप्त करने की । अपनी बुद्धि लगा सकते हैं । उससे ज्यादा नहीं ।
विज्ञान भी उसी प्रकृति का दोहन और उपयोग करता है ।जिसे ईश्वर ने बनाया है । जिस दिन विज्ञान अमरत्व की प्राप्ति कर लेगा । उस दिन भी आदमी को मरना पड़ेगा ।
क्योंकि धरती को इंसानों से भरना पड़ेगा । कोई मरेगा नहीं तो कोई पैदा भी नहीं लेगा । और आखिर में इंसान बोर हो जाएगा । अपनी लम्बी उम्र से ।
ऐसा भी हुआ तो ईश्वर आप हैं । ईश्वर मैं हूँ । सबके भीतर एक चेतन तत्व है । वही तो आत्मा है । ये अलग बात है कि आप अपने ख्यालों और नजरिए से,, रंग रूप से,, शारीरिक बनावट,, उसके आकार से भिन्न है । जिसपर हम भी भिन्न भिन्न नजरिए रखते हैं । जो प्रकृति की माया है । जब तक बांध के रखा शरीर में आत्मा को । तब तक प्रबल है प्रकृति, हमारी सोच,, । जिस दिन निकल गई आत्मा,, उस दिन महत्वहीन है ये शरीर । दुनिया के लिए,, खुद के लिए ।
मैं मानता हूं
ईश्वर है
इस बात के लिए
मुझे किसी का
सर्टिफिकेट नहीं चाहिए
न ही किसी की गवाही
किसी के कहने से
कोई बात साबित नहीं हो जाता है
मेरा जब तक है अहसास है
मुझे लगता है
मेरा ईश्वर साथ है
जो मुझे इस मतलबी दुनिया में
सहारा देता है
उन्हीं कामों को करने के लिए
जिससे मतलबी दुनिया
छोड़ देते हैं साथ
मतलब निकल
जाने के बाद !!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
1 टिप्पणियाँ
बहुत ही सुन्दर आध्यात्मिक ज्ञान
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