जब तक मुझे अनुभूति नहीं है । जब तक मुझे अहसास नहीं है । किसी का प्रेम, किसी के अस्तित्व,, तब तक मेरा मानना,, अंधविश्वास है ।
और पहले से अविश्वास करना बेवकूफी है । किसी के श्रद्धा,, किसी के प्रेम को । जरूरी नहीं है हर किसी का प्रेम सबको अहसास हो । आनंद मिले हर किसी को,, वहाँ तुम्हारी समझ बने ।रिश्ते के प्रति ।
और जिसे अहसास नहीं उसे प्रेम कैसे? इसलिए किसी के प्रेम का आधार,, रिश्तों की मजबूती उसके विश्वास की अनुभूति है ।अहसास है कि रिश्तों में कितने सुरक्षित है ।उसके विश्वास की गहराई पर निर्भर करता है । जिसे हर कोई सदा कायम नहीं रख पाते हैं । जिसका विश्वास जितना कमजोर होगा । रिश्ते उतना ही कमजोर होंगे ।
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