गुज़रे हुए वक्त


poetry on time- 


 गुज़रे हुए वक्त की कहानी

गुज़र जाने पर बहुत सुहानी

कुछ चुभन कुछ सुकून भरें लम्हें

बस वक्त ने किया मुझ पे मनमानी

अद्भुत था बचपन के बीते पल

वो धूल वो मिट्टी की कहानी

जिंदगी की दौड़ में यूं उलझे

अब व्यर्थ हो गई है ये जवानी !!!


time on kavita

 

मैंने ढूंढा बहुत

सुकून और शांति

जितनी दौड़ लगाई

उतनी भ्रांति

ठहरा हर जगह

मगर आराम न मिला

जैसे चाहे मन

ऐसा काम न मिला

एक तू ही है

जिसे देख मेरे कदम लौट आए  !!!


---राजकपूर राजपूत''राज''

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