अंदर बाहर की बात नहीं है ghazal on life

ghazal on life

 ये अंदर बाहर की बात नहीं है

आदमी के भीतर खुशी की बात नहीं है

ठहरता नहीं है अब मन कहीं पर

किसी चीज पे मोहब्बत की बात नहीं है

जितना मतलब में तुम सफ़र करोंगे

पूर्ति हो जाए ऐसी कोई बात नहीं है

इश्क में सफलता नादान को मिलती है

आजकल के दिमाग वालो की बात नहीं है !!!

ghazal on life

अपर्याप्त हो जाता है

मिला हुआ कोई वस्तु

महसूस नहीं हो पाता है 

जब प्रेम चला जाता है

सब कुछ फीका फीका सा लगता है

पास की रखी चीज़

अनजानी सी लगती है

जैसे गांव के तालाब पर

पेड़ उतने ही हैं

जितने बचपन में थे

नदी गर्मियों में जरूर सूख जाता है

लेकिन बरसात में लबालब भर जाते हैं

पेड़ हरे हो जाते हैं

फिर भी महसूस नहीं हो पाता है

चाहत बदली तो

अहसास बदल गया

जैसे तुम

और मैं !!!!



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