साहिलों पर

 शाम के साहिलों पर

सुनापन था

मेरा दर्द उभरा हुआ

लेकिन सुकून था

दौड़-धूप से थका हुआ

लेकिन तेरी यादों में सुकून था

तेरे ध्यान में खोया हुआ

कितना बेखबर, अनजान था

कल फिर होगी मेरी दौड़-धूप

तुझे पाने का ये अरमान था


शाम के साहिलों पर सुनापन था


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