उसूलों के सिक्के

उसूलों के सिक्के

इतने सुन्दर दिखे

जहॉं भी जाओ

अपनी पहचान पाओ  !!!


सुन्दरता का भाव में
कमी लगेगी
मोहब्बत कितनी भी मिले
कमी लगेगी 

वह स्त्री उदास होगी
आइने में आंकलन की होगी
प्यार से मन न भरेगा
जहां भी जाएगी
कमी लगेगी !!!

वो आईने देखकर इतरा गए
खुद को सुन्दर पहचान गए
आइने के पास जब भी जाती है
पुरूष को पहचान गए !!!

उसूलों के सिक्के
अभी मत उछालो
खरीददार बहुत है
गिरा हुआ इंसान सहज ही मिल जाएगा
भाव बस पूछ लो !!!!

किसकी हैसियत कम थी
बिके इसलिए
उसकी कीमत कम थी
जब से जाना मतलबी दुनिया को
मिलते हैं सबसे मगर इंसानियत कम थी !!!!

Reactions

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ