Who are you Poetry
कौन होते हो तुम
मेरी जिंदगी को
अपने नजरिए से देखने वाले
मेरी जिंदगी में दखल देने वाले
मैं जैसे भी हूॅं
खुश हूॅं बहुत
माना कि मुझमें ऐब है बहुत
मगर मेरे दिल में
फरेब नहीं है
इसलिए तुमसे अच्छा हूॅं, बहुत !!!!
Who are you Poetry
माना कि मैं
कमजोर हूं
मगर इतने नहीं
जितने तुम समझते हो
तुम्हारी दुनिया में शामिल नहीं हूं
जैसे दिनभर का थका आदमी
पैसों का हिसाब करता है
जैसे दिनभर का चारा खाया हुआ जानवर
शाम को जुगाली करता है !!!
समूह मनोविज्ञान
यह कहता है कि
मुझमें शामिल हो जा
मगर मेरा अस्तित्व
अलग होने की बात कहता है !!!!
कौन हो तुम
जो बिन अस्तित्व के
मुझे भान होते हो
जैसे आकाश
खाली-खाली हो कर
अपनी विशालता देखा जाता है
मुझे !!!!
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