ये ऊॅची-ऊॅची इमारतें

 ये ऊॅ॑ची-ऊॅ॑ची इमारतें सुना सा लगता है

तेरे शहर में हर कोई अकेला सा लगता है

बेशक झिलमिलाते हैं कई रंगीन बल्ब मगर
मेरे गांव में चाॅ॑द सितारों का मेला सा लगता है

हाॅ॑ तुझे मुबारक हो ये सोफे-गद्दे, ये ऊॅ॑ची इमारतें
मैं हूॅ॑ जमीं का आसमान कहाॅ॑ अच्छा लगता है


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