कौन कहता है हिन्दुस्तान मेरा है Ghazal Social -Hindustan Poem

 Ghazal Social -Hindustan Poem 

कौन कहता है हिन्दुस्तान मेरा है

देशभक्ति में अच्छा ईमान मेरा है

जब तालिबान में बहे खून तो मौन

फ्रांस में कटा गला समर्थन मेरा है

भरोसा करें तो करें कैसे उस पर

दोहरे मापदंड पे खड़ा इंसान मेरा है

मुनव्वर हो सकता है शायर मगर इंसान नहीं

जो कहे बाकी काफ़िर तालीबान मेरा है !!

वो कहने लगे

भारत को टूकडों में करने लगे

नई-नई परिभाषाएं

स्वतंत्रता सेनानी को

खुद से कमतर आंकने लगे  !!!

Ghazal Social -Hindustan Poem

मैं अब समझ जाता हूं 

जब कोई मेरी आलोचना करते हैं 

यही की उसकी नफरत कितनी है 

जो बुराई मुझमें है 

उससे अधिक उसमें है 

बस उसे कहना आ गया 

मुझे आत्मचिंतन 

जिसके कारण मैं देख नहीं पाया 

उसकी बुराई !!!!!


सरकार विरोधी था 

उसके लोग 

सभी भीड़ में आए 

मोमबत्ती जलाएं 

और खबर बन गई 

इसलिए नहीं कि सरकार ग़लत है 

बल्कि इसलिए 

विरोध बड़ी संख्या में हुआ !! 


पहले मोमबत्ती नहीं थी 

तो क्या न्याय नहीं था 

महाभारत और रामायण लिखी गई 

इसी के समर्थन में 

जो तुम मोमबत्ती जलाकर सो जाते हो !!!!

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_राजकपूर राजपूत 

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