साहित्य की मृत्यु नहीं होती है । इंसानों की होती है । साहित्य सिर्फ उपेक्षित होता है । इंसानों से । क्योंकि इंसानों ने अब गहराई में जाना छोड़ दिया है । वे इतने हल्के हो गए हैं कि हर गहरी बातें उसे उबाऊ लगता है । ठहरना नहीं चाहता है जीवन की वास्तविकताओं में । केवल हल्के होकर आनंद लेना चाहता है । जीवन का ।
जबकि साहित्य जीवन की गहराई की अभिव्यक्ति करता है
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