poem-kya-ham-samjhadar-hai-लोग स्वयं यह दावा करते हैं कि वह बुद्धिमान हैं । जो यह दावा करते हैं वे कभी किसी के भावनाओं का कद्र नहीं करते हैं । बुद्धि और तर्क का उपयोग किसी निर्माण के साथ नहीं करते हैं । बल्कि विध्वंसक रूप से किसी विचारधारा को नष्ट करने के लिए होता है । खुद के नफरतों को स्थापित करने का प्रयास किसी षड्यंत्र की तरह चुपके - चुपके करते हैं । ऐसे में क्या ऐसे लोग समझदार है ???
poem-kya-ham-samjhadar-hai
क्या हम समझदार हो गए हैं
अपने भीतर के संवेदनाओं को मार कर
व्यक्तिगत जीवन को जी कर
सामाजिक न्याय को भूलकर
इंसान क्या सभ्य हो गए हैं
कुछ सवाल उठा कर
किसी की आस्था पर
किसी के विश्वास तोड़कर
किसी दर्शन को स्थापित नहीं होने देते
हमारा शिक्षित होना
किसी पूर्वाग्रही की तरह
एक ही सत्य को
अपने एंगल से देखना
अपने अनुकूल करने के लिए
कई तर्क देना
तुम्हारा दोगलापन नहीं है
किसी के गले काटने को
सच और झूठ साबित करने के लिए
बहस करना जमाने से
क्या सभ्य होने की निशानी है !!!!
Kavita-hindi
क्या हम समझदार हो गए हैं
उन तर्कों को स्थापित करना
जिसमें स्वयं का स्वार्थ है
कुछ रिश्तों को चुनना
जिसमें मतलब के साथ अर्थ है
अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी कहना
हर चीज पर राय रखना
और विवाद करना
क्या हम समझदार हो गए हैं ??
अभी हम समझदार नहीं हुए हैं
क्योंकि सवाल उठाना जानते हैं
जवाब देना नहीं
जब तक सवाल उठाते हो
उग्र होता है मन
जब तक जवाब न मिले
शांति नहीं मिलती है
मन में !!!
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