सभ्यता के दौर में

 आदमी मरा नहीं है

जिंदा है

बस मरने का नाटक कर रहा है

कुछ स्वार्थ में

कुछ निजी महत्वाकांक्षा में

वर्ना यूं सभ्यता के दौर में

झूठ बोलकर

पर्दा नहीं डालते

अपने ईमान पर !!!


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