जो देश को भी अपना कह न सके
हक नहीं उसे जो देश में रह सके
धिक्कार है ऐसे लोगों पर दोगलों पर
केवल अपने हित पर ही जाग सके
आज सवाल उठाते हैं वहीं इंसान
जो कभी चरित्र स्थापित कर न सके
ऐसे लोगों का पोल खोल दो यारों
जो खुद के भीतर कभी झांक न सके
हक नहीं उसे जो देश में रह सके
धिक्कार है ऐसे लोगों पर दोगलों पर
केवल अपने हित पर ही जाग सके
आज सवाल उठाते हैं वहीं इंसान
जो कभी चरित्र स्थापित कर न सके
ऐसे लोगों का पोल खोल दो यारों
जो खुद के भीतर कभी झांक न सके
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