Politics is Poetry in your Heart
जिसे देखो वही सवाल उठाते हैं
जिसे कभी जवाब देना नहीं आते हैं
नफ़रत है दिल में और बातें मीठी-मीठी
इश्क सीखा नहीं और सबको जताते हैं
तालीम क्या पाएं सिर्फ बहस जारी है
बस एक दूसरे की कमियॉं बताते हैं
उसकी बातों में अक्लमंदी बहुत है
जो अक्सर अपने इरादे छुपाते हैं
नफरती बातें लोगों को बहुत भाते हैं
परोसा है जान पहचान में विद्वान बन जाते हैं
फैसला न होगा कोई अब तुमसे 'राज'
सियासत है तेरे सीने में हम जानते हैं !!!
Politics is Poetry in your Heart
हारूंगा मैं एक दिन
तुझसे
इसलिए नहीं कि मैं
तुझसे प्रेम करता हूं
बल्कि इसलिए
तुम मुझसे प्रेम नहीं करते हो
तुम्हारी सहानुभूति
एक दिन बदल जाएगी
जैसे बदल जाती है
दया
ठीक वैसे ही
बदल जाएगा प्रेम
किसी कमजोर को देखकर !!!!
---राजकपूर राजपूत''राज''
0 टिप्पणियाँ