बहस करना क्या सीखी परेशानी बढ़ गई

What did you learn to argue? Poem 

लोग खुश बहुत थे अपनी नादानियों से
आज उलझा हुआ है अपनी चालाकियों से

बहस करना क्या सीखी परेशानी बढ़ गई
फंसा हुआ है आज अपने ही कई सवालों से

सियासी दिल ही समस्याओं का जड़ है यारों
गिरेबान झांकते नहीं खुश हैं दूसरों की गलतियों से

जो पूरी जिंदगी कुछ किए नहीं वहीं होशियार है
लानत है ऐसे मक्कारों, ऐसे कामचोरों से  !!!

What did you learn to argue? Poem


खबर सियासी हो तो मतलब है
आदमी सीधा सादा फरेबी हो तो मतलब है

यकीं उसी का करते हैं ज़माने में
कोई सहसा मुस्कुराएं तो मतलब है

चोरी, फरेब, बलात्कार, हत्या या दुखद समाचार
इसके सिवा कोई ख़बर लिखें तो मतलब है

ताज्जुब क्या है इस ज़माने में
झूठ को मात दे तो मतलब है

अभी उसे इश्क हुआ कहां है
बातों से छोड़ व्यवहार में दिखे तो मतलब है !!!

अभी आदमी और अकेलापन देखेगा
महसूस करेगा
उसके लिए नहीं है दुनिया
फिर सीख जाएगी
अपने लिए जीना
रिश्तों के बीच रहकर
सही वक्त पर
मतलब निकालकर
चला जाएगा
उसे सीखा रही है दुनिया
एक दूसरे से अलग होने के लिए
नई-नई परिभाषाएं
प्रस्तुत कर रहे हैं
विश्वास, श्रध्दा, भरोसा
सब मज़ाक बनाया जा रहा है
कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा
साहित्यकारों ने
रचनाएं की
व्यक्तिवाद होने के लिए
उदाहरण दिए
ख़ास लोगों का
कबीर की वाणी
गौतम का उपदेश
जो करूणा से जागी थी
नफरती लोगों ने
हथियार बना दिया
कबीर, गौतम का मज़ाक बना दिया
तथाकथित वैज्ञानिकों द्वारा !!!!



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